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Channel: Movie Reviews in Hindi: फिल्म समीक्षा, हिंदी मूवी रिव्यू, बॉलीवुड, हॉलीवुड, रीजनल सिनेमा की रिव्यु - नवभारत टाइम्स
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लक्ष्मी

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लंबे समय के इंतजार के बाद अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' फाइनली रिलीज हो गई है। इस फिल्म पर बीच में काफी विवाद भी रहा था लेकिन अब इसे ओटीटी पर रिलीज कर दिया गया है। यह फिल्म तमिल मूवी 'कंचना' की हिंदी रीमेक है।

कहानी: आसिफ (अक्षय कुमार) और रश्मि (कियारा) की शादी हुई है लेकिन यह इंटर रिलीजन है। दोनों ने भाग के शादी की थी। आसिफ चाहता है कि उसकी पत्नी रश्मि एक बार फिर अपने परिवार से मिले और उनसे जुड़े। रश्मि के मां-बाप की शादी की सिल्वर जुबली ऐनिवर्सी है और फिर उसकी मां उसे घर बुलाती है, बस यहीं से हो जाती इस फिल्म की कहानी शुरू। आसिफ फैसला लेता है कि इस बार तो वो रश्मि के परिवार को मनाकर रहेगा। लेकिन घर आते वक्त आसिफ उस जमीन पर पहुंच जाता है जहां उसे नहीं जाना चाहिए था और उसने उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है। आसिफ हर बात पर बोलता है, 'मां कसम चूड़ियां पहन लूंगा'। और फिर उसे चूड़ियां पहननी ही पड़ती हैं क्योंकि उसके भीतर एक आत्मा आ गई है। लेकिन आसिफ ने चूड़ियां क्यों पहनी हैं, उसका एक उद्देश्य है जो बेहद इमोशनल है और वह आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा।

रिव्यू: अगर आपने राघव लॉरेंस की तमिल फिल्म 'कंचना' देखी है तो कहानी तो वही है लेकिन ट्रीटमेंट थोड़ा नया है। पहला सीन जोरदार है और अक्षय कुमार की एंट्री धमाकेदार है। अक्षय कुमार की परफॉर्मेंस में कोई कमी नहीं है लेकिन जब आपको लगता है कि फिल्म तेजी से आगे बढ़नी चाहिए तब उसके नाटकीय सीन पूरा पेस खत्म कर देते हैं। इतना जरूर है कि फिल्म में लक्ष्मी की एंट्री धमाकेदार है और अक्षय कुमार ने जो अपने किरदार को जिया है, वह तारीफ के काबिल है। एक लंबे समय बाद अक्षय ने कॉमिडी के रहते हुए भी सीरियस किरदार को उसके अंजाम तक पहुंचाया है। लक्ष्मी के किरदार में शरद केलकर का किरदार बहुत छोटा है मगर छाप छोड़कर जाता है। अगर आपको हॉरर फिल्मों से डर लगता है तो इस फिल्म को देख लें क्योंकि यह हॉरर फिल्म नहीं है बल्कि एक अच्छा संदेश देती है।

अक्षय और कियारा की जोड़ी जम नहीं रही है क्योंकि अक्षय पर उम्र हावी होती सी दिख रही है जबकि कियारा के लुक्स तो आप जानते ही हैं, आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? कियारा हर फिल्म के साथ बेहतर होती जा रही हैं। हालांकि कियारा के पास करने के लिए कुछ नहीं था। राघव लॉरेंस ने डायरेक्शन किया है तो साउथ के प्रभाव से आप नहीं बच सकते। अगर साउथ की फिल्में पसंद हैं तो ठीक वरना पहले ही गाने से फिल्म से आपका ध्यान भटक जाएगा और शायद देखने का मन नहीं करेगा। इस फिल्म का हर गाना कहानी को खत्म करने का काम करता है। भले ही 'बुर्ज खलीफा' हिट हो चुका है लेकिन अगर आप टॉकीज में इस फिल्म को देखने गए तो निश्चित तौर पर वॉशरूम चले गए होते। फिल्म में सपोर्टिंग कास्ट के तौर पर अश्विनी कलसेकर, राजेश शर्मा, आयशा रजा और मनु ऋषि ने अच्छा काम किया है।

क्यों देखें: अक्षय कुमार के फैन हैं तो फिल्म देख लीजिए वरना यह बेहद स्लो और बोरिंग है।

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