एक लंबे समय से कृति सैनन के लीड रोल वाली फिल्म 'मिमी' सुर्खियों में थी। यह फिल्म 30 जुलाई 2021 को रिलीज होनी थी मगर यह 26 जुलाई की सुबह ऑनलाइन लीक हो गई। इस कारण आनन-फानन में मेकर्स ने इसे 26 जुलाई की शाम ही ऑनलाइन रिलीज कर दिया। फिल्म सोरोगेसी के मुद्दे पर बनी है। एक समय था जबकि भारत पश्चिमी देशों के लिए सोरोगेसी का अड्डा बन गया था और यहां किराए की कोख एक व्यापार बन गया था। 'मिमी' में इसी मुद्दे को थोड़ा सा इमोशनल तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है।
कहानी: फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत आए एक अमेरिकन कपल जॉन और समर से जिनका ड्राइवर है भानु (पंकज त्रिपाठी)। जब भानु को पता चलता है कि जॉन और समर अपने बच्चे के लिए एक सोरोगेट मदर की तलाश में हैं तब उन्हें राजस्थान में मिलती है मिमी (कृति सैनन) जो प्रफेशनल डांसर है। अगर आपने फिल्म का ट्रेलर देखा है तो आपको पता चल जाएगा कि फिल्म की कहानी क्या है। जॉन और समर बीच में ही मिमी की कोख में अपना बच्चा छोड़कर चले जाते हैं। इसके बाद मिमी कैसे अपने बच्चे को पैदा करती है और उसके लिए संघर्ष करती है यही फिल्म की कहानी है।
रिव्यू: फिल्म का प्लॉट बहुत अच्छा है। इसमें भी कोई शक नहीं कि फिल्म की शुरूआत बहुत अच्छी होती है। कहानी तुरंत ही ट्रैक पर आ जाती है। पंकज त्रिपाठी के कुछ कॉमिक सीन अच्छे बने हैं। मिमी के किरदार में कृति सैनन अच्छी लगी हैं। कृति के कुछ सीन बहुत जानदार हैं। उनके पास इस फिल्म में करने के लिए बहुत कुछ था लेकिन स्क्रीनप्ले इतना सुस्त लिखा गया है कि आप एक समय के बाद बोर होने लगते हैं। फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी है और बोझिल लगने लगती है। हालांकि यह बात मानने वाली है कि कृति सैनन ने फिल्म में अच्छी ऐक्टिंग की है लेकिन अगर स्क्रीनप्ले कमजोर हो तो कलाकार भी कुछ नहीं कर सकता है। कृति और पंकज के अलावा फिल्म में मनोज पहवा, सुप्रिया पाठक और सई तम्हानकर सपोर्टिंग रोल में हैं और सभी ने अपने किरदारों को भरपूर जिया है। मिमी के रोल में कृति की एंट्री धमाकेदार है। उन पर फिल्माया गया 'परम सुंदरी' गाना पहले ही हिट हो चुका है। ऐक्टिंग की बात की जाए तो कोई कलाकार कम नहीं है मगर फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन बेहद लचर है।
ऐक्टिंग: यह फिल्म पूरी तरह से कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी की है। कृति सैनन पहले ही खुद को साबित कर चुकी हैं कि ऐक्टिंग तो उनको आती है। यहां भी ऐसा ही है कि कृति कर तो बहुत कुछ सकती थीं मगर फिल्म में लीड रोल होने के बावजूद उनके कैरेक्टर को उतना स्पेस नहीं दिया गया है जितना दिया जाना चाहिए था। शायद डायरेक्टर पंकज त्रिपाठी पर ज्यादा भरोसा कर रहे होंगे इसलिए पंकज को काफी स्पेस दिया गया है। पंकज त्रिपाठी के डायलॉग्स की टाइमिंग हमेशा की तरह गजब की है। यह कृति सैनन के साथ उनकी तीसरी फिल्म है। इससे पहले दोनों 'बरेली की बर्फी' और 'लुका छुपी' में दिख चुके हैं इसलिए दोनों की केमिस्ट्री भी अच्छी लगती है। हालांकि पंकज त्रिपाठी मोनोटोनस होते जा रहे हैं और यह बात अब नजर आने लगी है। मनोज पहवा, सुप्रिया पाठक और सई तम्हानकर ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
क्यों देखें: फिल्म सोरोगेसी जैसे मुद्दे पर है मगर साफ-सुथरी है। कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी के फैन हैं तो देख सकते हैं।
कहानी: फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत आए एक अमेरिकन कपल जॉन और समर से जिनका ड्राइवर है भानु (पंकज त्रिपाठी)। जब भानु को पता चलता है कि जॉन और समर अपने बच्चे के लिए एक सोरोगेट मदर की तलाश में हैं तब उन्हें राजस्थान में मिलती है मिमी (कृति सैनन) जो प्रफेशनल डांसर है। अगर आपने फिल्म का ट्रेलर देखा है तो आपको पता चल जाएगा कि फिल्म की कहानी क्या है। जॉन और समर बीच में ही मिमी की कोख में अपना बच्चा छोड़कर चले जाते हैं। इसके बाद मिमी कैसे अपने बच्चे को पैदा करती है और उसके लिए संघर्ष करती है यही फिल्म की कहानी है।
रिव्यू: फिल्म का प्लॉट बहुत अच्छा है। इसमें भी कोई शक नहीं कि फिल्म की शुरूआत बहुत अच्छी होती है। कहानी तुरंत ही ट्रैक पर आ जाती है। पंकज त्रिपाठी के कुछ कॉमिक सीन अच्छे बने हैं। मिमी के किरदार में कृति सैनन अच्छी लगी हैं। कृति के कुछ सीन बहुत जानदार हैं। उनके पास इस फिल्म में करने के लिए बहुत कुछ था लेकिन स्क्रीनप्ले इतना सुस्त लिखा गया है कि आप एक समय के बाद बोर होने लगते हैं। फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी है और बोझिल लगने लगती है। हालांकि यह बात मानने वाली है कि कृति सैनन ने फिल्म में अच्छी ऐक्टिंग की है लेकिन अगर स्क्रीनप्ले कमजोर हो तो कलाकार भी कुछ नहीं कर सकता है। कृति और पंकज के अलावा फिल्म में मनोज पहवा, सुप्रिया पाठक और सई तम्हानकर सपोर्टिंग रोल में हैं और सभी ने अपने किरदारों को भरपूर जिया है। मिमी के रोल में कृति की एंट्री धमाकेदार है। उन पर फिल्माया गया 'परम सुंदरी' गाना पहले ही हिट हो चुका है। ऐक्टिंग की बात की जाए तो कोई कलाकार कम नहीं है मगर फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन बेहद लचर है।
ऐक्टिंग: यह फिल्म पूरी तरह से कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी की है। कृति सैनन पहले ही खुद को साबित कर चुकी हैं कि ऐक्टिंग तो उनको आती है। यहां भी ऐसा ही है कि कृति कर तो बहुत कुछ सकती थीं मगर फिल्म में लीड रोल होने के बावजूद उनके कैरेक्टर को उतना स्पेस नहीं दिया गया है जितना दिया जाना चाहिए था। शायद डायरेक्टर पंकज त्रिपाठी पर ज्यादा भरोसा कर रहे होंगे इसलिए पंकज को काफी स्पेस दिया गया है। पंकज त्रिपाठी के डायलॉग्स की टाइमिंग हमेशा की तरह गजब की है। यह कृति सैनन के साथ उनकी तीसरी फिल्म है। इससे पहले दोनों 'बरेली की बर्फी' और 'लुका छुपी' में दिख चुके हैं इसलिए दोनों की केमिस्ट्री भी अच्छी लगती है। हालांकि पंकज त्रिपाठी मोनोटोनस होते जा रहे हैं और यह बात अब नजर आने लगी है। मनोज पहवा, सुप्रिया पाठक और सई तम्हानकर ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
क्यों देखें: फिल्म सोरोगेसी जैसे मुद्दे पर है मगर साफ-सुथरी है। कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी के फैन हैं तो देख सकते हैं।
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