रौनक कोटेचा
पिछले काफी दिनों से फिल्म 'बंटी और बबली 2' काफी चर्चा में थी। यह फिल्म 2005 में आई फिल्म 'बंटी और बबली' का सीक्वल है। हालांकि इस बार अभिषेक बच्चन की जगह सैफ अली खान ने और अमिताभ बच्चन की जगह पंकज त्रिपाठी ने ले ली है। साथ में सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ की जोड़ी बंटी और बबली बनकर लोगों को चूना लगा रहे हैं।
कहानी: ट्रेलर से साफ है कि इस बार भी बंटी और बबली की जोड़ी लोगों को चूना लगाएंगे मगर इस बार ये जोड़ी कुणाल (सिद्धांत चतुर्वेदी) और सोनिया (शरवरी वाघ) की है। बंटी और बबली के रूप में चूना लगाने वाले राकेश (सैफ अली खान) और विम्मी त्रिवेदी (रानी मुखर्जी) ने 15 साल पहले ही लोगों धोखा देना छोड़ दिया है और अब वह यूपी के फुर्सतगंज में रह रहे हैं। राकेश रेलवे में टिकट कलेक्टर है जबकि विम्मी एक सामान्य हाउस वाइफ। अचानक पता चलता है कि बंटी और बबली के नाम पर कोई लोगों चूना लगा रहा है। ये इंजिनियरिंग से पास हुए कुणाल और सोनिया हैं। इन नए बंटी और बबली को पकड़ने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर जटायु सिंह (पंकज त्रिपाठी) पुराने बंटी और बबली की मदद लेता है। अब नए बंटी और बबली तक ये लोग कैसे पहुंचते हैं यही फिल्म की कहानी है।
रिव्यू: फिल्म में पुरानी 'बंटी और बबली' की पॉप्युलैरिटी को कैश करने की कोशिश की गई है। हालांकि पहली फिल्म डायरेक्ट कर रहे वरुण वी शर्मा कहानी को आगे बढ़ाने में लड़खड़ाते नजर आते हैं। फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ की जोड़ी के धोखाधड़ी देने के तरीकों को इंट्रेस्टिंग बनाने की कोशिश की गई है लेकिन पूरी फिल्म बचकाना सी नजर आती है। फिल्म का पहला हाफ में केवल कहानी के लिए बेस बनाने में निकल जाता है और फिल्म आगे नहीं बढ़ती। दूसरे हाफ में फिल्म का प्लॉट तो तैयार हो जाता है लेकिन कहानी और स्क्रीनप्ले बिना किसी लॉजिक के नजर आते हैं।
ऐक्टिंग: फिल्म में सैफ अली खान, रानी मुखर्जी और पंकज त्रिपाठी के रूप में तीन मंझे हुए कलाकार हैं और सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ प्रॉमिसिंग नजर आते हैं लेकिन ढीली कहानी और लचर स्क्रिप्ट ने इनकी ऐक्टिंग बेकार कर दी है। रानी मुखर्जी और सैफ अली खान की जोड़ी अच्छी नजर आती है और दोनों ने मिडिल क्लास पति-पत्नी के कैरेक्टर में जान डाल दी है। सिद्धांत चतुर्वेदी ने काफी मेहनत से अपना किरदार निभाया है और शरवरी वाघ अपनी पहली ही फिल्म में काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रही हैं। दोनों की जोड़ी तो अच्छी है मगर उनके कैरेक्टर्स में जान नहीं डाली गई है जिससे ऑडियंस कनेक्ट नहीं हो पाती है। पंकज त्रिपाठी की कॉमिक टाइमिंग गजब है और वह अपने गंवई अंदाज में जटायु सिंह के रूप में अच्छे नजर आते हैं।
क्यों देखें: पहली 'बंटी और बबली' की तुलना में यह फिल्म काफी लचर है। केवल रानी मुखर्जी, सैफ अली खान और पंकज त्रिपाठी की ऐक्टिंग और सिद्धांत चतुर्वेदी, शरवरी वाघ की मेहनत की खातिर फिल्म देख सकते हैं।
पिछले काफी दिनों से फिल्म 'बंटी और बबली 2' काफी चर्चा में थी। यह फिल्म 2005 में आई फिल्म 'बंटी और बबली' का सीक्वल है। हालांकि इस बार अभिषेक बच्चन की जगह सैफ अली खान ने और अमिताभ बच्चन की जगह पंकज त्रिपाठी ने ले ली है। साथ में सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ की जोड़ी बंटी और बबली बनकर लोगों को चूना लगा रहे हैं।
कहानी: ट्रेलर से साफ है कि इस बार भी बंटी और बबली की जोड़ी लोगों को चूना लगाएंगे मगर इस बार ये जोड़ी कुणाल (सिद्धांत चतुर्वेदी) और सोनिया (शरवरी वाघ) की है। बंटी और बबली के रूप में चूना लगाने वाले राकेश (सैफ अली खान) और विम्मी त्रिवेदी (रानी मुखर्जी) ने 15 साल पहले ही लोगों धोखा देना छोड़ दिया है और अब वह यूपी के फुर्सतगंज में रह रहे हैं। राकेश रेलवे में टिकट कलेक्टर है जबकि विम्मी एक सामान्य हाउस वाइफ। अचानक पता चलता है कि बंटी और बबली के नाम पर कोई लोगों चूना लगा रहा है। ये इंजिनियरिंग से पास हुए कुणाल और सोनिया हैं। इन नए बंटी और बबली को पकड़ने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर जटायु सिंह (पंकज त्रिपाठी) पुराने बंटी और बबली की मदद लेता है। अब नए बंटी और बबली तक ये लोग कैसे पहुंचते हैं यही फिल्म की कहानी है।
रिव्यू: फिल्म में पुरानी 'बंटी और बबली' की पॉप्युलैरिटी को कैश करने की कोशिश की गई है। हालांकि पहली फिल्म डायरेक्ट कर रहे वरुण वी शर्मा कहानी को आगे बढ़ाने में लड़खड़ाते नजर आते हैं। फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ की जोड़ी के धोखाधड़ी देने के तरीकों को इंट्रेस्टिंग बनाने की कोशिश की गई है लेकिन पूरी फिल्म बचकाना सी नजर आती है। फिल्म का पहला हाफ में केवल कहानी के लिए बेस बनाने में निकल जाता है और फिल्म आगे नहीं बढ़ती। दूसरे हाफ में फिल्म का प्लॉट तो तैयार हो जाता है लेकिन कहानी और स्क्रीनप्ले बिना किसी लॉजिक के नजर आते हैं।
ऐक्टिंग: फिल्म में सैफ अली खान, रानी मुखर्जी और पंकज त्रिपाठी के रूप में तीन मंझे हुए कलाकार हैं और सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ प्रॉमिसिंग नजर आते हैं लेकिन ढीली कहानी और लचर स्क्रिप्ट ने इनकी ऐक्टिंग बेकार कर दी है। रानी मुखर्जी और सैफ अली खान की जोड़ी अच्छी नजर आती है और दोनों ने मिडिल क्लास पति-पत्नी के कैरेक्टर में जान डाल दी है। सिद्धांत चतुर्वेदी ने काफी मेहनत से अपना किरदार निभाया है और शरवरी वाघ अपनी पहली ही फिल्म में काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रही हैं। दोनों की जोड़ी तो अच्छी है मगर उनके कैरेक्टर्स में जान नहीं डाली गई है जिससे ऑडियंस कनेक्ट नहीं हो पाती है। पंकज त्रिपाठी की कॉमिक टाइमिंग गजब है और वह अपने गंवई अंदाज में जटायु सिंह के रूप में अच्छे नजर आते हैं।
क्यों देखें: पहली 'बंटी और बबली' की तुलना में यह फिल्म काफी लचर है। केवल रानी मुखर्जी, सैफ अली खान और पंकज त्रिपाठी की ऐक्टिंग और सिद्धांत चतुर्वेदी, शरवरी वाघ की मेहनत की खातिर फिल्म देख सकते हैं।
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