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Channel: Movie Reviews in Hindi: फिल्म समीक्षा, हिंदी मूवी रिव्यू, बॉलीवुड, हॉलीवुड, रीजनल सिनेमा की रिव्यु - नवभारत टाइम्स
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मूवी रिव्यू: थैंक गॉड

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स्वर्ग-नरक और यमदूत आपने पुरानी हिंदी फिल्मों में जरूर देखे होंगे। लेकिन फिल्म 'थैंक गॉड' में काफी अरसे बाद इस कॉन्सेप्ट को सिनेमा के पर्दे पर उतारा गया है। हालांकि इस बार इसका अंदाज थोड़ा बदला हुआ है और इसमें स्वर्ग-नरक और यमदूत भी मॉडर्न हो गए हैं।

'थैंक गॉड' की कहानी
फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि अयान (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक रीयल एस्टेट कारोबारी है, जो कि नोटबंदी के बाद बर्बाद हो गया। उसकी पत्नी रुही (रकुलप्रीत सिंह) एक पुलिस अफसर है। काफी मुश्किलों का सामना कर रहा अयान अपना बंगला बेचकर अपना कर्ज चुकाना चाहता है, लेकिन उसमें कामयाब नहीं हो पाता। इस चक्कर में वह अपनी पत्नी और बच्ची को भी वक्त नहीं दे पाता। इसी उधेड़बुन में एक दिन अयान का एक्सिडेंट हो जाता है। जब उसे होश आता है, तो वह खुद को एक अजीब सी जगह पाता है। एक बार को उसे समझ नहीं आता कि वह कहां है, लेकिन बाद उसे पता लगता है कि वह सीजी (अजय देवगन) की अदालत यानी कि यमलोक में है। सीजी उसे बताता है कि यहां पर उसके पाप पुण्य का हिसाब किताब एक गेम शो के माध्यम से होगा। अब अयान की जिंदगी या मौत इस गेम शो पर ही टिकी है। क्या अयान इस शो में जीतकर अपनी बचा पाता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा?

'थैंक गॉड' का ट्रेलर

'थैंक गॉड' का रिव्यू
डायरेक्टर इंद्र कुमार ने फिल्म थैंक गॉड से एक अलग तरह का सिनेमा रचने की कोशिश की है और वह इसमें कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं। फिल्म की शुरुआत धीमी होती है, लेकिन फिर धीरे धीरे यह रफ्तार पकड़ लेती है। खासकर यमलोक का सीक्वेंस शुरू होने के बाद फिल्म पूरे रंग में आ जाती है। इंटरवल से पहले फिल्म में कई कॉमिक सीन आपको हंसाते हैं। वहीं सेकंड हाफ में फिल्म इमोशनल टच के साथ जिंदगी से जुड़े तमाम सबक भी सिखाती है। हालांकि इस फिल्म के बहाने तमाम धार्मिक रूढ़ियों पर भी चोट करने की कोशिश की गई है। फिल्म में यमलोक में यमराज के करैक्टर का नाम भी चित्रगुप्त के नाम पर 'सीजी' रखना भी अखरता है। इसी तरह विवादों से बचने के लिए यमदूत को भी 'वाईडी' कहकर पुकारा जाता है। बावजूद इसके फिल्म आपका मनोरंजन करती है, तो क्लाईमैक्स में जिंदगी को पूरी तरह बदल देने का मंत्र भी देती है।

बात अगर एक्टिंग की करें, तो अजय देवगन ने अच्छा काम किया है। हालांकि उनके हिस्से में चुनिंदा सीन ही आए हैं। जबकि सिद्धार्थ मल्होत्रा ने फिल्म के सबसे महत्वपूर्ण रोल को अच्छे तरीके से निभाया है। एक स्वार्थी और मतलबी इंसान के रोल में वह पूरी तरह जमे हैं। जबकि रकुलप्रीत पर्दे पर बेहद खूबसूरत लगी हैं। उन्होंने अपने छोटे से रोल को संजीदगी से निभाया है। नोरा फतेही का आइटम नंबर जोरदार है। फिल्म का मनिके सॉन्ग पहले ही सुपरहिट हो चुका है।

क्यों देखें: अगर आप दिवाली की छुट्टियों में कोई साफ सुथरी और अच्छा संदेश देने वाली फैमिली फिल्म देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए ही है। लेकिनअगर आप कुछ अलग हटकर फिल्म देखना चाहते हैं, तो इस फिल्म का टिकट ना खरीदें।

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