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Channel: Movie Reviews in Hindi: फिल्म समीक्षा, हिंदी मूवी रिव्यू, बॉलीवुड, हॉलीवुड, रीजनल सिनेमा की रिव्यु - नवभारत टाइम्स
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मूवी रिव्‍यू: मिली

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चाहे कोई कुछ भी कहे, मगर बॉलिवुड वालों का साउथ फिल्मों के लिए किसी भी हाल में मोहभंग नहीं होता। बॉलिवुड के फिल्मकार लगातार साउथ फिल्मों का रीमेक बनाते जाते हैं। अतीत में कई साउथ फिल्मों के रीमेक ने बॉक्स ऑफिस को चमकाया है, मगर कई फिल्में ऐसी भी रहीं, जो बिजनेस नहीं कर पाईं, इसके बावजूद हिंदी फिल्मकार साउथ की फिल्म को एक सेफ ऑप्शन तो जरूर मानते ही हैं। यही वजह है कि हिंदी में MILI के रूप में 2019 में प्रदर्शित हुई मलयालम फिल्म 'हेलेन' की रीमेक देखने को मिल रही है। निर्देशक माथुकुट्टी जेवियर ही मूल फिल्म के निर्देशक हैं। 'मिली' में वे लीड रोल में जान्‍हवी कपूर के साथ आए हैं।

'मिली' की कहानी
फिल्‍म की कहानी छोटे शहर देहरादून की है। यहीं पली-बढ़ी हंसमुख और मिलनसार मिली (Janhvi Kapoor) अपने पिता (मनोज पाहवा) के बेहद करीब है। रहमदिल और मासूम मिली कनाडा जाकर नर्सिंग का कोर्स करना चाहती है, ताकि अपने पिता के लिए आर्थिक रूप से मददगार साबित हो सके। पिता बीमार हैं और एक इंश्योरेंस एजेंट के रूप में काम करते हैं। अपने पापा की लाड़ली मिली उन्हें सपोर्ट करने के लिए एक मॉल के फूड जॉइंट में पार्ट टाइम जॉब करती है। कनाडा जाने के लिए ही वह इंग्लिश स्पीकिंग की क्लासेज ले रही है, ताकि उसके काम में कोई कमी न रह जाए। हर किसी के लिए अच्छा सोचने वाली मिली अपने बॉयफ्रेंड समीर कुमार (Sunny Kaushal) के लिए भी यही चाहती है कि वे अपने दुकान के किराए के भरोसे न रहकर कोई डीसेंट सी नौकरी कर ले।

' मिली' का ट्रेलर

अपनी जिंदगी के सपनों और पिता तथा बॉयफ्रेंड के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश में लगी मिली को अंदाजा भी नहीं होता कि वह समीर के साथ जिस रात घर लौट रही होती है, उसी रात पुलिस समीर को ड्रंक और ड्राइव के केस में पकड़ लेगी। उसके पिता को पुलिस स्टेशन आना पड़ता है और हालात ऐसे पैदा होते हैं कि पिता के सामने समीर की छवि तो खराब होती ही है, वो मिली से भी नाराज हो जाते हैं। यहीं से मिली की जिंदगी में मुसीबतों की शुरुआत होती है। पिता को मनाने की उधेड़बुन में लगी मिली एक सिचुएशन में फूड जॉइंट के कोल्ड स्टोरेज रूम में माइनस 17 डिग्री की खून जमा देने वाली ठंड में फंस जाती है। उसकी इस जानलेवा हालत से हर कोई अनजान है। पिता, समीर, पुलिस हर कोई उसे सारे शहर में ढूंढ रहा है, तो क्या मिली उस कोल्ड स्टोरेज में सर्वाइव कर पाएगी? उसकी जान बचेगी या नहीं? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

'मिली' का रिव्‍यू
इसमें कोई शक नहीं कि हेलेन के लिए नेशनल अवॉर्ड हासिल कर चुके निर्देशक माथुकुट्टी जेवियर रोजमर्रा की एक नॉर्मल सिचुएशन को एक ऐसी हॉरर स्थिति में बदल देते हैं, जहां पल-पल इस बात की उत्सुकता बनी रहती है कि बर्फ के उस कुएं में मिली सर्वाइव करने के लिए क्या हथकंडे अपनाएगी और वो जो युक्ति आजमाएगी, क्या वो उसकी जान बचाने के लिए सिद्ध होंगे? फिल्म के फर्स्ट हाफ का नरेटिव काफी सिंपल और सोबर है, सेकंड हाफ के बाद कहानी ट्विस्ट और टर्न के साथ आगे बढ़ती है और जैसे-जैसे कोल्ड स्टोरेज में मिली की जद्दो-जहद बढ़ती जाती है। थिएटर में भी ऐसी का तापमान गिरता हुआ महसूस होता है। हालांकि, इसके बावजूद निर्देशक इस स्थिति को और ज्यादा रोंगटे खड़ा कर देने वाला बना सकते थे।

मिली के सर्वाइव करने के रास्ते थोड़े सीमित नजर आते हैं, यहां निर्देशक और ड्रामा और आतंक पैदा कर सकते थे। यद्यपि फिल्म जातिगत भेदभाव, पुलिस के उदासीन और रिवेंजफुल रैवये के साथ-साथ छोटे शहर की मानसिकता जैसे मुद्दों को भी समेटती है। मगर कई दृश्यों का दोहराव भी देखने को मिलता है। तकनीकी पक्ष की बात करें, तो सुनील कार्तिकेयन की सिनेमेटोग्राफी फिल्म की रफ्तार को बढ़ाती है। फ्रीजर के अंदर टेंशन को बनाने के लिए कई क्लोजअप शॉट्स का उपयोग किया गया है। वहीं, एआर रहमान कुछ शानदार संगीत लेकर आए हैं, जिसके बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने। मोनीषा बलदेवा का संपादन अगर थोड़ा चुस्त होता, तो फिल्म का क्लाइमेक्स और रोमांचकारी हो सकता था।

अभिनेत्री के रूप में जाह्नवी कपूर मिली जैसे मासूम, मिलनसार, आदर्शवादी और सर्वाइवल इंस्टिंक्ट रखने वाली लड़की के रुप में खूब जंचती हैं। फिल्म दर फिल्म जाह्नवी कपूर अपने क्राफ्ट को परिष्कृत करती जा रही हैं। इस फिल्म में भी उनकी मेहनत पर्दे पर साफ झलकती है। मनोज पाहवा इस दौर के समर्थ चरित्र अभिनेताओं में से हैं और पिता के विभिन्न रूपों को वे बेहद सहजता से जीते हैं। मिली के प्रेमी के रूप में सनी कौशल ने अपनी भूमिका में कोई कमी नहीं छोड़ी है। सीनियर कॉन्स्टेबल सतीश रावत के रूप में अनुराग अरोड़ा गुस्सा दिलाते हैं, तो हेड पुलिस अफसर के रूप में संजय सूरी कहानी में रहत लेकर आते हैं।सहयोगी कलाकार कहानी की मांग को पूरा करते हैं।

क्यों देखें- सर्वाइवल इंस्टिंक्ट की नायिका प्रधान फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।

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