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Channel: Movie Reviews in Hindi: फिल्म समीक्षा, हिंदी मूवी रिव्यू, बॉलीवुड, हॉलीवुड, रीजनल सिनेमा की रिव्यु - नवभारत टाइम्स
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वर्जिन भानुप्रिया

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साल 2015 में मिस इंडिया रह चुकीं उर्वशी रौतेला ने साल 2013 में सनी देओल के ऑपोजिट 'सिंह साहब दि ग्रेट' से बॉलिवुड में डेब्यू किया था। इसके बाद उर्वशी ने 'सनम रे', 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती', 'हेट स्टोरी 4' और 'पागलपंती' जैसी फिल्मों में काम किया है। अब यह पहली फिल्म है जो पूरी तरह उर्वशी के कंधों पर टिकी है। उम्मीद तो थी कि शायद उर्वशी इस बार अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवाकर मानेंगी लेकिन इसमें भी वह कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी हैं।

कहानी: भानुप्रिया अवस्थी (उर्वशी रौतेला) एक पढ़ाई में होनहार मिडिल क्लास कॉलेज गोइंग लड़की है। उसकी मां मधु (अर्चना पूरन सिंह) और पिता विजय (राजीव गुप्ता) में बिल्कुल नहीं बनती। भानुप्रिया अपनी जिंदगी में अकेली है और उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है और अभी तक वह वर्जिन है जिसके लिए उसकी खास सहेली रकुल (रुमाना मोला) हमेशा उसे चिढ़ाती रहती है। घर के अकेलेपन और जिंदगी में प्यार की कमी से जूझती भानुप्रिया को राजीव (सुमित गुलाटी) के रूप में एक अजीब लड़का मिलता है लेकिन उसका दिल सड़कछाप लड़के शर्तिया (गौतम गुलाटी) पर आ जाता है। लेकिन इन दोनों से भी निराश होने के बाद भानुप्रिया अरेंज मैरिज के लिए अपने पैरंट्स को बोल देती है। अब वर्जिन भानुप्रिया की शादी होती है या नहीं और आगे क्या होता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

रिव्यू: फिल्म के पहले सीन में उर्वशी रौतेला के अलावा पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में ब्रिजेंद्र काला दिखाई देते हैं तो आपको थोड़ी सी उम्मीद बंधती है। लेकिन सीन दर सीन यह फिल्म अपनी पटरी से उतरती जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म में उर्वशी खूबसूरत लगी हैं और उन्होंने मेहनत भी की है लेकिन एक ऐक्टर के तौर पर अभी तक वह प्रॉमिसिंग नहीं लगती हैं। फिल्म में कुछ अच्छे कलाकार हैं जिनका ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया है। ब्रिजेंद्र काला, अर्चना पूरन सिंह और राजीव गुप्ता अपनी फिल्मों में कॉमिक टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं लेकिन भानुप्रिया पर फोकस करने के चक्कर में इन कलाकारों को ठीक से स्पेस नहीं दिया गया है। हालांकि भानुप्रिया की सहेली रकुल के रोल में रुमाना मोला और राजीव के रोल में सुमित गुलाटी अच्छे लगे हैं। गौतम गुलाटी अपने रोल के लिए मिसफिट हैं और बेहतर हो कि कहीं ऐक्टिंग क्लास जॉइन कर लें।

फिल्म की कहानी अच्छी है लेकिन लचर स्क्रीनप्ले और द्विअर्थी डायलॉग्स ने इसे खराब कर दिया है। आजकल ऐसे बोल्ड टॉपिक्स पर बेहतरीन फिल्में बन रही हैं जिन्हें फैमिली संग बैठकर देखा जा सकता है। आयुष्मान खुराना की विकी डोनर, शुभ मंगल सावधान और अक्षय कुमार की गुड न्यूज जैसी फिल्में भी बोल्ड टॉपिक्स पर बनी हैं लेकिन पता नहीं क्यों डायरेक्टर अजय लोहान को इस कहानी पर एक 'ए' सर्टिफिकेट की फिल्म बनाने की सूझी। फिल्म का म्यूजिक ऐसा नहीं है कि आपको देखने के बाद कोई गाना याद रहे।

क्यों देखें: उर्वशी रौतेला की सुंदरता के कायल हैं और घर पर फ्री हैं तो इस फिल्म को देख सकते हैं।

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