यकीनन लंबे समय से एक अदद हिट को तरसते डायरेक्टर निखिल आडवाणी और लंबे अर्से के बाद स्क्रीन पर एक बार फिर बॉक्स ऑफिस पर राज कर रही ऐक्ट्रेस कंगना रनौत के साथ नजर आ रहे इमरान खान के लिए सितंबर का महीना कुछ खास रहा होगा। करण जौहर के साथ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट कल हो न हो के बाद जहां निखिल को अपनी अगली सुपरहिट की तलाश लंबे अर्से से लगी थी, ऐसे में इस महीने जब उनकी एकसाथ दो फिल्में हीरो और कट्टी बट्टी एक हफ्ते के गैप में रिलीज हुई तो निखिल की सुपरहिट की आस बढ़ना समझा जा सकता है। अफसोस अब जब यह दोनों फिल्में दर्शकों के सामने आ चुकी हैं तो लगता है निखिल का इंतजार अब और आगे बढ़ना तय है। हीरो बॉक्स ऑफिस पर कुछ नहीं कर पाई तो वहीं इमरान खान स्टारर यह फिल्म भी शुरुआत से क्लाइमैक्स तक कुछ ऐसी स्लो स्पीड से फ्लैशबैक का सहारा लेकर आगे खिसकती है कि दर्शक सवा दो घंटे की फिल्म के साथ भी खुद को स्टार्ट से लास्ट तक कहीं बांध नहीं पाता। बेशक, निखिल ने अपनी इस फिल्म को जेन एक्स और मल्टिप्लेक्स कल्चर को फोकस करके बनाया, लेकिन कहानी चंद मिनट बाद ही ट्रैक से कुछ ऐसी भटकनी शुरू होती है जो आखिर तक संभल नहीं पाती। निखिल की यह फिल्म हॉलिवुड फिल्म अ वॉक टु रिमेंबर से काफी हद तक प्रभावित है। करीना कपूर जैसी हिट हिरोइन के साथ भी नाकाम रहे इमरान खान को इस बार कंगना रनौत जैसी बॉक्स ऑफिस की क्वीन का साथ मिला।
कहानी : अहमदाबाद के एक कॉलेज में आर्किटेक्चर बनने मुंबई से आए मैडी उर्फ माधव (इमरान खान) को पहली नजर में ही यहां पढ़ रही पायल (कंगना रनौत) से प्यार हो जाता है। मैडी का यह प्यार पूरी तरह से वन साइड है, क्योंकि पायल ने तो कभी उसके साथ अपने प्यार का इजहार नहीं किया। पायल अपनी अपने दोस्तों के साथ बिंदास जिंदगी गुजारना चाहती हैं। कॉलेज में कुछ मुलाकातों के बाद पायल भी मैडी को लाइक करने लगती है। कॉलेज की स्टडी पूरी होने के बाद पायल अपने आगे की स्टडी के लिए पैरिस जाने का प्लान रद्द करके मैडी के साथ मुंबई में रहने का फैसला करती है। मुंबई में मैडी और पायल एक दो नहीं, बल्कि पूरे पांच साल तक एक-दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनिशप में रहते हैं। अचानक, एक दिन पायल मैडी की दुनिया से कहीं दूर चली जाती है। मैडी समझ नहीं पा रहा कि उसने ऐसा क्या कर दिया कि पायल उससे दूर चली गई। मैडी पूरी तरह से पायल के प्यार में ऐसा डूब चुका है कि पायल के जाने के बाद वह जहर पीकर आत्महत्या की भी कोशिश करता है। मैडी को अब भी पायल की तलाश है, क्योंकि मैडी उससे सच्चा प्यार करता है। इसी बीच एक दिन जब मैडी को पता चलता है कि पायल दिल्ली में एक एनजीओ के सिलसिले में है और जल्द ही अपने कॉलेज के उस दोस्त से शादी करने वाली है जिससे उन्होंने कई साल पहले ब्रेकअप कर लिया था तो मैडी पायल से मिलने दिल्ली जाने का फैसला करता है।
डायरेक्शन : निखिल आडवाणी ने जवां दिलों की इस लव-स्टोरी को बेहद सुस्त ढंग से पेश किया। बेशक इंटरवल के बाद कहानी कुछ रफ्तार पकड़ती है और क्लाइमैक्स कुछ चौंकाता भी है, लेकिन कहानी को आगे बढ़ाने के लिए निखिल ने बार-बार फ्लैशबैक सीन्स का कुछ ज्यादा ही सहारा लिया जो खटकता है। कंगना और इमरान पर फिल्माया देवदास नाटक फिल्म की लंबाई बढ़ाने के अलावा कुछ और नहीं करता। पायल और मैडी की लव-स्टोरी के साथ दर्शकों का कहीं भी बंध न पाना फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है।
संगीत : फिल्म का संगीत फिल्म की यूएसपी है। रिलीज से पहले फिल्म के कई गाने म्यूजिक चार्ट में टॉप फाइव में शामिल हो चुके हैं। चल ले किसिया, दे किसिया और मैं भी सिरफिरा तू भी सिरफिरी पहले से यंगस्टर्स में हिट है।
क्यों देखें : कंगना का बोल्ड अंदाज, दमदार अभिनय, चौंका देने वाला क्लाइमैक्स और जेन एक्स की कसौटी पर फिट फॉर्म्युला इस कट्टी बटटी में हैं।
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