फिल्म की कहानी जेल में दूसरे कैदियों को अधमरा करनेवाले अद्वैत (आदित्य रॉय कपूर) से होती है। वह जेल से छूटता है और पुलिस अफसर अंजनी अगाशे को फोन करके कहता है कि उसे एक मर्डर रिपोर्ट करना है, जो होने जा रहा है। उसके बाद पुलिस वालों के खौफनाक कत्ल का सिलसिला शुरू होता है। इस बीच कहानी फ्लैशबैक में भी जाती है, जहां अद्वैत गोवा की एक अडवेंचर्स ट्रिप में हिप्पी टाइप की लड़की सारा (दिशा पाटनी) से मिला था। लंदन से आई मस्तमौला सारा अद्वैत को जिंदगी जीना सिखाती है। दोनों एक-दूसरे के साथ खुश हैं, तभी उनकी जिंदगी में तूफान आ जाता है।
यहां प्रजेंट में पुलिसवालों के मर्डर का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। अपने साथी पुलिसवालों की सिलिसिलेवार हत्याओं के केस को सुलझाने में अंजनी के साथ माइकल रॉड्रिक्स (कुणाल खेमू) भी जुटा हुआ है। अद्वैत पुलिसवालों को क्यों मार रहा है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
निर्देशक के रूप में मोहित सूरी इस तरह की थ्रिलर फिल्मों में माहिर हैं। यही वजह है कि कहानी की शुरुआत थ्रिलिंग अंदाज में होती है, मगर फिल्म में फ्लैशबैक के सीन्स थ्रिलर के पेस में व्यवधान साबित होते हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, आपको 'एक विलन' और 'मर्डर' की झलकियां नजर आने लगती हैं। इंटरवल के बाद कहानी गति पकड़ती है, मगर फिर वह प्रिडक्टिबल हो जाती है। मोहित ने कई जगहों पर सिनेमैटिक लिबर्टी ली हैं। क्लाइमैक्स सुखद होने के बावजूद चौंकाता नहीं है। वेद शर्मा के संगीत में मलंग का टाइटिल ट्रैक प्रभावी बन पड़ा है। रेडियो मिर्ची के टॉप ट्वेंटी में यह 6 ठे पायदान पर है। विकास शिवरामन की सिनेमटॉग्रफी थ्रिल में इजाफा करती है। राजू सिंह का बैकग्राउंड स्कोर जबरदस्त है।
फिल्म में हर कलाकार ने यादगार परफॉर्मेंस दी है। अद्वैत के रूप में आदित्य रॉय कपूर ने ऐक्शन-इमोशन और रोमांस में खुद को साबित किया है। फिल्म में उनकी बॉडी और बॉडी लैंग्वेज का ट्रांसफॉर्मेशन काबिल-ए-तारीफ है। दिशा पाटनी बेहद ग्लैमरस और खूबसूरत लगी हैं। आदित्य और दिशा के बीच के जज्बाती और रूमानी दृश्य अच्छे बन पड़े हैं। एक बैड कॉप के रूप में अनिल कपूर ने लाजवाब अभिनय किया है। ड्रग्ज के आदि और अपने नियम-कानून को माननेवाले पुलिस अफसर के रोल में अनिल हर तरह से जंचे हैं। माइकल के रूप में कुणाल खेमू ने परदे पर अलग तरह के किरदार को यादगार बनाया है। फिल्म में उनका चरित्र केंद्र में है और कुणाल ने साबित किया है कि जब भी उन्हें जटिल भूमिकाएं दी जाएंगी, वे न्याय करने में कामयाब रहेंगे। एली अवराम ठीक-ठाक रही हैं। सहयोगी कास्ट विषय के अनुरूप है।
क्यों देखें: ऐक्शन-थ्रिलर फिल्मों के शौकीन और आदित्य-अनिल के फैंस यह फिल्म जरूर देख सकते हैं।
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