Quantcast
Channel: Movie Reviews in Hindi: फिल्म समीक्षा, हिंदी मूवी रिव्यू, बॉलीवुड, हॉलीवुड, रीजनल सिनेमा की रिव्यु - नवभारत टाइम्स
Viewing all articles
Browse latest Browse all 508

मूवी रिव्यू: भूल भुलैया 2

$
0
0

पिछले कुछ समय से हिंदी फिल्मों के लिए टिकट खिड़की पर भीड़ नदारद रही है। अजय देवगन, टाइगर श्रॉफ और रणवीर सिंह जैसे बड़े सितारों की फिल्में भी दर्शकों को सिनेमाघरों में नहीं खींच पाईं। ऐसे में बॉलिवुड की उम्मीदें अनीस बज्मी की हॉरर कॉमिडी फिल्म 'भूल भुलैया 2' पर टिकी हैं और शायद यह फिल्म उनकी इस आस को पूरी कर दे, क्योंकि इसमें एक पारिवारिक एंटरटेनर के सारे मसाले मौजूद हैं। हां, टाइटिल की वजह से 2007 वाली 'भूल भुलैया' से तुलना करने या ज्यादा दिमाग लगाने मत बैठिएगा, वरना निराश हो सकते हैं, क्योंकि आकाश कौशिक की लिखी इस कहानी में मंजुलिका और दो गानों 'हरे राम' और 'मेरे ढोलना' के अलावा पिछली फिल्म से कोई कनेक्शन नहीं है।

कहानी: फिल्म के शुरुआत में ही हम देखते हैं कि एक हवेली में घर की बहूरानी (तब्बू) को चुड़ैल मंजूलिका के चंगुल से बचाने के लिए तंत्र-मंत्र चल रहा है और तांत्रिक उस आत्मा को निकालकर हवेली के ही एक कमरे में बंद कर देते हैं, जिसके बाद पूरा परिवार हवेली छोड़कर चला जाता है। कहानी आज में लौटती है, जहां रीत (कियारा आडवाणी) मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद पापा जी की मर्जी से शादी करने के लिए घर लौट रही होती हैं। रास्ते में वह टकराती हैं, रूहान रंधावा (कार्तिक आर्यन) से, जो खुलकर जीने में यकीन रखता है। हालात ऐसे बनते हैं कि रीत को पता चलता है कि असल में उसकी बहन और मंगेतर एक-दूसरे से प्यार करते हैं। इसलिए, उन्हें एक करने के लिए वह रूहान की मदद से अपने मरने का नाटक करती है और छिपने के लिए पुरानी हवेली पहुंचती है। जाहिर है, अब सालों बाद हवेली खुली है, तो मंजूलिका का भूत भी बाहर आएगा ही, इसलिए आगे इस भूतिया हवेली में खूब धमा-चौकड़ी होती है। रीत घरवालों के लिए आत्मा बन जाती है, तो रूहान आत्मा से बातें करने वाला रूह बाबा बनकर लोगों को बहकाता है।

रिव्यू: अब इस कहानी में लॉजिक ढूंढने लगेंगे, तो आपको बहुत कुछ अटपटा लगेगा, लेकिन फरहाद सामजी का स्क्रीनप्ले और आकाश के डायलॉग हंसाते हैं। कॉमिडी के पंच अच्छे बन पड़े हैं, जो कार्तिक आर्यन की उम्दा कॉमिक टाइमिंग के चलते हंसने पर मजबूर कर देते हैं। कार्तिक को फिल्म में अच्छे कॉमिक पंचेज के अलावा अपनी ऐक्टिंग क्षमता दिखाने का भी पूरा मौका मिला है और उन्होंने ये मौका बिल्कुल नहीं गंवाया है। उनके फैंस की तादाद इस फिल्म के बाद निश्चित तौर पर बढे़गी। कियारा आडवाणी अपने किरदार के साथ न्याय करती हैं। हालांकि, छिपे रहने के चलते कई बार वे काफी देर के लिए स्क्रीन से गायब ही हो जाती हैं। वहीं, तब्बू हमेशा की तरह खुद को फिर एफर्टलेस ऐक्टर साबित करती हैं। वो फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी हैं। इसके अलावा, संजय मिश्रा, राजपाल यादव और अश्विनी कालसेकर की तिकड़ी भी हंसी की डोज बढ़ाने का काम करती है।

फिल्म की कमजोर कड़ी उसका क्लाइमैक्स है। अक्षय कुमार-विद्या बालन वाली 'भूल भुलैया' में जहां सस्पेंस आखिर तक बरकरार रहता है। इस फिल्म में वह बहुत पहले खुल जाता है, जिससे रोमांच कम हो जाता है। आखिर के ट्विस्ट का अंदाजा भी पहले ही हो जाता है। फिल्म जल्दबाजी में खत्म की गई लगती है। म्यूजिक की बात करें, तो 'हरे राम-हरे राम' वाले गाने का पूरी फिल्म में अच्छा इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा 'मेरे ढोलना' और 'दे ताली' भी ठीकठाक हैं। कुल मिलाकर, क्लाइमैक्स कसा गया होता, तो मजा ही आ जाता, पर वीकेंड पर परिवार के साथ इस 'भूल भुलैया' में खोना घाटे का सौदा नहीं है।

क्यों देखें: परिवार संग हंसने-मुस्कुराने और कार्तिक आर्यन के लिए।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 508

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>